Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 26 Jan, 2022
ज़ालिम ज़माना ये
सबसे तोड़कर ख़ुद का होने भी नहीं देता, फूलों से राब्ता नहीं, काँटे बोने भी नहीं देता, है बड़ा ज़ालिम ये ज़माना शायद, ऐ दिल मेरे, ज़ख़्म भी दिए जाता है और रोने भी नहीं देता.! BY:— © Saket Ranjan Shukla IG:— @my_pen_my_strength

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by saketranjanshukla

26 Jan, 2022

Life lessons

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