Saket Ranjan Shukla
06 Sep, 2021
ऐ ज़िंदगी! छोड़ देना साथ
अपनों को कभी भी खलना नहीं चाहूँगा मैं,
किसी पर आश्रित हो, चलना नहीं चाहूँगा मैं,
ऐ ज़िंदगी! छोड़ देना साथ, मुझमें जान रहते,
असहाय हो, दवाईयों पे पलना नहीं चाहूँगा मैं.!
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
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by saketranjanshukla
06 Sep, 2021
Unaided
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