Saket Ranjan Shukla
07 Feb, 2023
चाय पर मिल कभी ऐ ज़िंदगी
रोज़ का कारोबार सा है यूँ अश्क़ पीना मेरा,
आँखें शुष्क दरियाएँ हैं, है ज़ख्म सीना मेरा,
आ मिल कभी चाय पर ऐ ज़िंदगी, तो बताऊँ,
कि कितना मुश्किल कर रखा है तूने जीना मेरा.!
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
Paperwiff
by saketranjanshukla
07 Feb, 2023
Tealover
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