अंधी देशभक्ति
आजादी का दिन आया या देशभक्ति उमड़ रही स
देशद्रोही झुठयां के भीतर देशभावना बड़ रही स,,
देशभावना बड़ रही स ये खोखले सारे भितरले के,,
भितरले म भ्रष्टाचार भरा उजले रँग मुँह उपरले के,,
ये देश न बेच के खावेंगे या मेरे पक्की जड़ रही स,,
देशद्रोही झुठयां के भीतर देशभावना बड़ रही स,,
आजादी के कितने वीर सिपाही रण म जान लुटागे र,,
भारत माँ की इज्जत राखि अर स्वाभिमान बचागे र,,
उन वीर सिपाहियों की फ़ोटो प मण मण माटी चढ़ रही स,,
देशद्रोही झुठयां के भीतर देशभावना बड़ रही स,,
नेता झूठे,अभिनेता झूठे, झूठे न्यायाधीश आड़े,,
मिले टेम प न्याय नही दाहुँ लोगां की काढ़े घिस आड़े,,
म्हारे कानून की देवी की आंख्यां प काली पट्टी पड़ रही स,,
देशद्रोही झुठयां के भीतर देशभावना बड़ रही स,,
साल तिहत्तर हो लिए हमने मिली आजादी मगर नही,,
रेप,मर्डर,डकैती होंवे या सफलता आली तो डगर नही,,
लिख लिख के सचिन गोयल काढ़े जो बात काळजै अड़ रही स,,
देशद्रोही झुठयां के भीतर देशभावना बड़ रही स,,
© सचिन गोयल
शास्त्री नगर गन्नौर
सोनीपत हरियाणा
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*🇮🇳2020 और 1947 🍂🍃से पहले के भारत में कोई फर्क नही🇮🇳*
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by sachin87bhq