SAAD RUDAULVI
SAAD RUDAULVI 26 Mar, 2021
ghazal
इस से पहले कि जागती ग़ैरत अपनी इन्सां ने मार दी ग़ैरत सिर्फ लोगों में है दिखावे की वर्ना दुनिया में मर गई ग़ैरत जिनके महलों में हैं दबी लाशें उनमें जागेगी क्या कभी ग़ैरत ख़ून मुफ़लिस ने अपना बेचा जब तब कहाँ  थी भला तिरी  ग़ैरत आरज़ू माल-ओ-ज़र की हो जिसको बीच देगा वो आदमी ग़ैरत भाई को भाई ने जो क़त्ल किया मर गई तब बची कुची ग़ैरत साद ग़ैरत वो देखता है मिरी जिसमें बाक़ी नहीं रही  ग़ैरत अरशद साद रूदौलवी

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by saadrudaulvi1

26 Mar, 2021

Arshad Saad Rudaulvi

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