जिंदगी

जिंदगी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 05 May, 2021 | 1 min read

 

 

मोम सी है पिघलती जिंदगी,

आइसक्रीम की तरह गलती जिंदगी,

न जाने कब कहाँ कैसे खत्म हो जाये,

फिर क्यों संभल संभल चलती जिंदगी।

 

जिंदगी को जी लो तुम ऐसे

काम आए वो दूसरों को जैसे,

मेरा तेरा के भेद से ऊपर उठे,

नदी अनवरत बहती हो वैसे।

 

सिसक कर क्यों दम तोड़ती जिंदगी,

मौत के डर से क्यों तड़पती जिंदगी,

भविष्य के डर में जिंदा लाश बनें ,

घुट घुट कर क्यों है मरती जिंदगी।

 

जो भी समस्या है सामना कर,

समस्याओं से न पीछे कभी हट,

जो भी होगा उसे स्वीकार कर,

इस तरह अपने धुन में चलती जिंदगी।

 

 

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Ruchika Rai

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