शब

रात

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 02 Jul, 2024 | 1 min read

शब भर पलकों को एक इंतजार रहा,

नींद को भी देखो मुझसे नही प्यार रहा।


तमाम फिक्र,मलामतें रात दर पर आईं,

मेरा उनसे देखो बेवज़ह ही तकरार रहा।


कोशिशें करती रही भूल जाऊँ दर्द सारे,

मेरी बेचैनियों को इस बात से इंकार रहा।


सूनसान शब और अरमान उफान पर थे,

यादों को जेहन में न आने का इसरार रहा।


धड़कनें बदहवास और कसक दिल में,

फिर भी मुस्कुराहट से भरा व्यवहार रहा।


काली शब के बाद खूबसूरत सुबह आती,

यह हक़ीकत मेरे मन को स्वीकार रहा।


शब के अकेलेपन से जब सुलह कर ली,

मेरे बैचैन दिल को फिर बड़ा करार रहा।


#बस_यूँही


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Ruchika Rai

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