जबाब

भविष्य में क्या है

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Oct, 2021 | 1 min read

निशा का चार पहर मुश्किल लगे हर डगर,

चमक उठी दामिनी घटा के भयावह गरज,

बरखा का विकराल रूप का धरा पर आना,

बाधाओं से भरा हो हमारा अनजाना सफर।


काली रात की बदरी पूरी तरह छँट जाएगी,

फिर क्या मौसम कभी रौद्र रूप न दिखाएगी,

क्या होगा जब नभ धवल रूप में आएगा,

बारिश की बूंदें क्या अमृत बन धरा पर आएगी।


क्या होगा बादलों के बीच जीवन गति पायेगा,

क्या खुली धूप में व्याकुल मन इठलाएगा,

क्या गम से कोसों दूर हो जीवन सहज हो पायेगा।

क्या इंद्रधनुषी छटा जीवन में दिख पायेगा।


मन में प्रश्नों का है उठे अकूत भंडार,

ढूंढ रहा विकल हो मन उसका ही जबाब,

पर अफ़सोस नही कोई सुनने वाला इसको,

वक़्त ही ससमय सही जबाब शायद दे पाएगा।

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Ruchika Rai

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