सबने कहा,
बड़ी मुस्कुराती हो
जिंदगी में तुमने क्या विशेष पा लिया।
मैंने भी हँसकर कहा,
मैंने ये कभी सोचा ही नही।
जो पाया वही मुझे विशेष लगा।
उससे इतर मैंने कभी
विशेष देखा नही।
उससे इतर कभी
विशेष के लिए सोचा नही।
सबने कहा,
क्या तुम्हें अपनी कमियों का अफसोस नही।
मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा,
जिसे तुम मेरी कमजोरी समझते
वही तो मेरी असली ताकत है।
सब निरुत्तर और मौन थे।
मेरी होठों पर गहरी मुस्कुराहट
आँखों में नमी थी।
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