नये नये अनुसंधान ,सुख सुविधा की नई नई चीजों की खोज,वैज्ञानिक प्रगति ने एक तरफ हमारे जीवन को आसान बना दिया है वही दूसरी तरफ इन सब के कारण प्राकृतिक संसाधनों की क्षति,पर्यावरण पर गलत प्रभाव भी पड़ रहे हैं।
वायु ,जल,मिट्टी,कुल मिलाकर हमारा संपूर्ण वातावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो रहा है।सुख सुविधाओं की होड़ में,आधुनिकता के दिखावे में,अंधानुकरण के कारण हम ये जानते हुए भी की इससे हमें नुकसान हो रहा है हम उसे रोक नही पा रहे हैं।
हमारी जीवन शैली,हमारी आदतें प्रदूषण को बढ़ावा दे रही हैं।इन सबके मूल में बढ़ती हुई जनसंख्या है ,लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या को आवास और भोजन उपलब्ध कराने के लिए जंगल साफ किये जा रहे हैं।पेड़ों को काटकर बस्तियां बसाई जा रहीं और कृषि योग्य जमीन को बनाया जा रहा है।हर तरफ कंक्रीटों के जंगल ने वातावरण को प्रदूषित कर दिया है।
उसके बाद कल -कारखानों की स्थापना उनसे निकलने वाले धुंए और बदबू ने पूरे वातावरण के साथ साथ व्यक्ति का भी दम घोंट कर रख दिया है।व्यक्ति को साँस संबंधी अनेक बीमारियां इनके कारण हो जा रही है।
कल कारखानों के साथ गाँव से नौकरी के लिए लोगों का शहर की तरफ पलायन ने हर तरह से शहरों के वातावरण को प्रभावित किया है।
कचरा प्रबंधन,जल निकासी,शौचालय प्रबंधन इन सबने वातावरण को प्रदूषित करने में भरपूर सहयोग किया है।
समस्याएं दिन प्रतिदिन विकट होती जा रही है,गाड़ियों से निकलते धुँआ, फसल कटाई के बाद खेतों में आग लगाना,एसी का उपयोग इन सबने स्थिति को बड़ा ही भयावह बना दिया है।
जो आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ा ही कष्टकारी है और उनके स्वस्थ जीवन के लिए बहुत बड़ा चैलेंज।
आने वाली पीढ़ी के संरक्षक के रूप में हम इस समस्या से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं-
1.अपनी जीवनशैली में सर्वप्रथम बदलाव लाएं।
2.बिजली ,गैस का कम से कम उपयोग करें।
3.निजी वाहनों का न्यूनतम उपयोग,साइकिल का उपयोग करें और पैदल चलने पर बल दें।
4.नये वृक्ष जरूर लगाएं,अगर अपनी भूमि नही हो तो सार्वजनिक स्थलों पर पौधे जरूर लगाएं।
5.घर के आस पास हरियाली के लिए गमलों में ही सही पौधे लगाए।
6.एयरकंडीशनर का कम से कम उपयोग करें।
7..बाहर निकलकर कुछ सीखने का प्रयास करें।
8.प्लास्टिक का उपयोग पूर्णतया बंद करें।
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