विचार

विचार

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 19 May, 2022 | 0 mins read

विचारों की रेस बड़ी तेज और लंबी होती,

भागती रहती हैं बेरोक टोक न जाने कब तक,

कब कहाँ कैसे पहुँच जाए खबर तक नही,

दस्तक देती हैं जिंदगी के अनछुए दरवाजों पर।


अचानक से राह में खटक जाता कभी कुछ,

हो जाती है बेरंग वापस जहाँ से चली थी वही,

मगर लेकर आती अपने साथ कुछ कसक,

कुछ अफ़सोस अपनी अतृप्त आकांक्षाओं का।


विचार होती मनचली,मनमौजी थोड़ी हठी,

कभी प्रेम के रंग में डूबी हुई खुद को सँवारती।

कभी शिकायतों की लंबी फेहरिस्त को थामती,

तो कभी जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी दबी सी।


विचारों की रेस कभी स्वयं को आश्वस्त करती,

कभी बावली सी बन घूमती इधर से उधर,

कभी हकीकत से सौ सौ योजन दूरी भागती हैं,

कभी जीवन के यथार्थ से दो चार करवाती हैं।


ये विचारों की रेस सरपट दौड़ती भागती हैं,

पीछे सब कुछ ज्यों का त्यों छोड़कर निकल जाती हैं।

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