है मुश्किलों का दौर आप सब हैं डटकर खड़े,
उस जहरीले वायरस से जज्बे है आपके बड़े,
शब्द मेरे नाकाफी है करने के लिए शुक्रिया
है देवदूत सरीखे या खुद ही देव बनकर लड़े।
आपकी सेवा को मूल्य चुका सकते है नहीं,
आपके उपकार का ऋण भर सकते हैं नहीं,
है रात हो या दिन आप ततपर ही सदा रहे,
एक फ़ोन कॉल पर मदद करता कोई नहीं।
है आप सबके होने से पूरी तरह निश्चिन्त हम,
आएगा कोई संकट फिर देख लेंगे हम,
मुश्किलों में आप सब का होना ही है आत्मबल,
आपके सबके होने से मिलता है हौसलों को बल।
सभी कहते हैं ये मतलबी युग है आ गया,
इंसान ही इंसनियत को धता बतला गया,
आप सब इस बात को पूरी तरह धता बताते हो,
इंसानियत का नया सबक आपने सिखला दिया।
बस ये मेरे चंद शब्द आपके कर्म को समर्पित है,
जानती हूँ आपके कर्मों के आगे यह बहुत तुच्छ है,
फिर भी सुकून है कि आप सब हमारे संग है,
जंग इस वायरस से जीत लेंगे ये उम्मीद संग है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.