इजाजत

इजाजत

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 16 May, 2022 | 0 mins read

है तुझे भी इजाजत अपने सपनों को जीने का,

खुशियों के चंद लम्हें में गम को अपने पीने का,

अपनी भावनाओं को प्रकट करना चाहे तो कर,

रिश्तों के उधड़ते धागों को अपने मन से सीने का।


है तुझे भी इजाजत अपनी पहचान बनाने का,

स्वयं से जो वादे किए हैं उसको बखूबी निभाने का,

जीवन के धूप छाँव को हँसकर सहते हुए,

अपनी मंजिल के लिए प्रयासरत होते हुए पाने का।


है तुझे भी इज़ाजत थोड़ा खुलकर हँसने का,

दर्द जब बहुत हो तो चुपचाप जी भर रोने का,

हौसलों की अभेद्य दीवार को गिराकर जीवन में,

थक जाने पर थोड़ा थमकर सुस्ताने का।


है तुझे भी इजाजत खुद से इश्क फरमाने का,

नाराजगी हो स्वयं से अगर खुद को बहलाने का,

थोड़ा सजने सँवरने का खुद को निखारने का,

है खुशियाँ पाने का और उसको लुटाने का।

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Ruchika Rai

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