यह मानव जीवन नही जा सकता कभी व्यर्थ,
सकल मनोरथ कार्य सिद्ध परिश्रम का है अर्थ।
रस्सी आने जाने से सील पर निशान पड़ जाता है,
खेतों में किसान मिट्टी से सोना सदा उपजाता है,
चट्टानों को काटकर राह जो कभी बनायें हम,
नदियों की धारा ऊँचे से गिर झरना कहलाता है।
गर्मी की भरी दुपहरी मजदूर मजदूरी करता है,
जाड़े की ठंडी हवा से भी नही कभी डरता है,
नदियों पर बांध बनाकर है सबको राहत पहुँचाये
नदी जल सेमेहनत से वह बिजली उत्प्न्न करता है।
अग्नि में तपकर ही कुंदन देखो खरा बनता है,
एक एक ईंट जोड़कर ही महल बड़ा बनता है,
परिश्रम का कोई अन्य विकल्प नही मिलता है,
सच्ची लगन और मेहनत से ही इंसान बड़ा बनता है।
यह मानव जीवन नही जा सकता कभी व्यर्थ,
सकल मनोरथ कार्य सिद्ध परिश्रम का है अर्थ।
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