माफ करके भूलाना कहाँ आसान होता है,
यह वही कर सकता जो महान होता है,
दर्द तकलीफ़ बेचैनी टीस देती है अक्सर,
सुकून हो संग किस्मत कहाँ मेहरबान होता है।
यादों में अक्सर वह रूखा व्यवहार होता है,
भूलना जिसको नही आसान होता है,
इंसान होकर ईश्वर कैसे बन पाएं बोलो,
चोट दिल की भूले मन नही नादान होता है।
चलो एक बार हम एक छोटा सा प्रयास करें,
माफ कर देंगे मन में यह विश्वास रखें,
हर कार्य को ईश्वर के हवाले करके,
बुरे को भूल जाने का मन में आस रखें।
कर्म और प्रारब्ध के लिखे को समझ जाएं,
जो अगर बुरा करें उसमें अच्छाई ढूंढ पाएं,
मान लें हर तकलीफ़ में है ईश्वर की मर्जी,
फिर माफ कर एक नए राह पर कदम बढ़ाएं।
छोड़ दें सब कुछ समय की धार पर यारों,
माफ कर दें मन में नही अफसोस रहे प्यारों,
हर बुराई के पीछे अच्छाई छिपी रहती है,
किस्मत पर यकीन सदा रखें वही बिगड़े सँवारे।
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