इंतजार की घड़ियाँ सरक रही हैं,
नजरें ड्योढ़ी पर टिकी हुई हैं,
मन के अंदर सिहरन सी उठ रही है,
बस तुम अब आ जाना।
आना संग में अपने अपनापन लाना,
दिल को ये जतलाकर लाना,
उसको ये समझाकर लाना,
एक धड़कन सुनने को आतुर है कोई,
उसको गले लगाना है,
धड़कन दिल की सुनाना है,
भेद भाव सारे भुलाना है।
बस इतना तुम बतलाकर आना।
आते वक्त अपनी व्यस्तता थोड़ी छोड़कर आना,
जिम्मेदारियों से छुट्टी लेना,
क्रोध को घर में बिठा कर आना,
बेचैनी को थपकी देकर सुलाकर आना,
आँसू को सुखा कर आना,
बस खिलखिलाहट अपनी संग लाना,
हँसी की फव्वारे लेते आना,
बेफिक्री को मिलाने लाना।
बस तुम मिलने आ जाना,अपनापन संग लाना।
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