खुद ही खुद का दायरा बनाती,
उन दायरों में खुद को छुपाती,
थोड़ी सी सहमी सकुचाई होती,
इस तरह खुद को बचाती।
खुल के बात करने से डरती,
पुरुष मित्रों से दूर रहती,
डरती कोई ऊँगली न उठाएं,
हमउम्र दोस्तो के बीच भी
वो खुद को नही आश्वस्त करती।
समाज की नजरों से वो खुद
पूरी तरह बचाती।
उनके बातों को वो नजरअंदाज
करते हुए हैं जाती।
फिर भी कभी गॉसिप की
वजह है बन वो जाती।
ये अनब्याही लड़कियाँ
बड़ी मुश्किल से खुद का
तालमेल इस समाज में बिठाती।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
true said 👍
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