बुजुर्ग पिता

पिता मित्र बन जाते हैं

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 18 Jun, 2023 | 1 min read

एक उम्र के बाद पिता में हमें

दोस्त नजर आते है।

जो अपने अनुभवों से मिले ज्ञान को

हर कदम पर हमें बतलाते हैं।

बेशक नई पीढ़ी से तालमेल बिठाना

मुश्किल होता उनके लिये,

हरसम्भव प्रयास से वह सामंजस्य

आखिरकार बिठाने में सफल हो जाते हैं।


एक उम्र के बाद पिता हमें दोस्त

सरीखे से लगते और समझ आते हैं।

कठोर अनुशासन की जगह थोड़े से

व्यवहार में वह लचक लेकर आते हैं।

जो दूर दूर से रहकर गम्भीर बने रहते थे

अब कभी बच्चों के बीच बच्चे बन आनंद उठाते हैं।



उम्र कितनी भी बीत जाए सहारा ढूँढते पिता,

बच्चों के लिए ढाल बन जाते हैं।

बच्चों की फिक्र में खुद की परवाह न कर,

उनकी बेहतरी के लिए प्रयास करते रह जाते हैं।

कपड़ों में दाग धब्बे की फिक्र न कर,

बच्चों के आराम में स्वयं को लगाते हैं।


उम्र बीत जाने पर भी अगर सहज नहीं होते

तो माँ को ढाल बना कुशल क्षेम पूछ जाते हैं।

नाराजगी जताने के लिए क्रोध नही करते

अब वो

मौन होकर रह जाते हैं।


पिता मार्गदर्शक ,मित्र ,गुरू हर भूमिका 

को निभाते हुए

स्वयं ही बच्चों की जिम्मेदारी उठाते हैं।

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Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

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  • Namrata Rai · 1 year ago last edited 1 year ago

    Nice lines

  • Ruchika Rai · 1 year ago last edited 1 year ago

    Thankyou di

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