सपनों का तर्पण

मरे हुए सपनों का तर्पण

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Nov, 2022 | 0 mins read

मरे हुए सपनों का तर्पण नही होता,

वह भटकती रहती है यहाँ से वहाँ

एक आस को जगाये रखते हुए मन में

शायद कोई चमत्कार हो

और वह स्वप्न जीवन की हकीकत बन जाये।


मगर मरे हुए सपनों का तर्पण जरूरी है,

इस रूह के सुकुन के लिए

ताकि मन से काश मिट जाये

और फिर जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने के लिए

एक और स्वप्न इन आँखों में पल सके।


अगर मरे हुए सपनों का तर्पण न हुआ तो

वह जिंदगी से जिंदगी को छीनकर

सुकून से न जीने देगी।

मन को अथाह पीड़ाएँ,कसक टीस दे जाएंगी।

और मन के कब्रगाह में दफन होकर

गाहे बगाहे अपनी मौजूदगी का एहसास

किसी न किसी बहाने कराएगी।

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Ruchika Rai

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