भोर उसके हिस्से की

समीक्षा एक नजर में

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 15 Apr, 2023 | 1 min read

भोर उसके हिस्से की साहित्य विमर्श प्रकाशन गुरुग्राम द्वारा प्रकाशित की गई है।

इसके लेखक रणविजय एक रेलवे अधिकारी हैं।

 कई परतों में कैद स्त्री मन को लेखक ने जिस प्रकार पढ़कर जीवंत किया है उसे पढ़कर लगता है एक स्त्री मन को एक पुरूष द्वारा कैसे इतनी अच्छी तरह से समझा गया है।

और जो कहते हैं कि स्त्री मन को पढ़ना इतना आसान नही उसके लिए भोर हिस्से की उपन्यास का पढ़ना बहुत जरूरी है।

शुरुआत से ही इस किताब ने ऐसे बाँध लिया कि जैसे लगता हो कि जब तक खत्म न करूँ उठना ही नही है।

और जब इसे पढ़कर समाप्त किया तो ऐसा महसूस हुआ कि इसके आगे क्या?

कितनी घटनाएं ,कितने प्रसंग ,कितनी बातें ऐसी लगीं जैसे ये महसूस हुआ कि लेखक ने मेरे मन को कैसे पढ़ लिया।

यह तीन नौकरीपेशा युवतियों मदालसा,पल्लवी और चाँदनी की कहानी है।

जो उच्च पदों पर आसीन होने के बावजूद किस तरह अपनी छोटी छोटी इच्छाओं को मारती हैं और इन तमाम सामाजिक ताने बाने को तोड़ने की कसमसाहट कैसे उनके मन में पलती है।

सरकारी नौकरी और उच्च पद मिलने पर कैसे उनके परिवार रिश्तेदार उन्हें दुधारू गाय समझकर उनके आगे पीछे घूमते हैं।

लड़की होने के कारण परिवार में न मिलने वाले यथोचित सुविधाओं से लेकर ,एक प्रेमिका से लेकर पत्नी तक की सारी कश्मकश लेखक ने बहुत अच्छे से उभारा है।

फिर तीनों सहेलियों का अकेले विदेश यात्रा करने जाना ,सारे बंधनों को तोड़कर जिंदगी को जीना, कही न कही सामाजिक दायरों में बँधे होने के कारण अपनी इच्छाओं को घुटती स्त्री की कहानी है।

कुल मिलाकर स्त्री मनोभावों पर लिखी यह पुस्तक पढ़े जाने योग्य है।शब्द सरल सहज है,कुछ रेलवे से संबंधित शब्दों का प्रयोग किया गया है पर उसके अर्थ दिये होने के कारण मुश्किल नही पैदा करते।

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