जीवन ने देखा था एक खूबसूरत सपना,
सपना जिसे पूरे कर सकें जो बनें अपना,
नापने को विस्तृत नभ और पंखों में थी जान,
भरनी थी अपने प्रयासों से एक ऊँची उड़ान।
उड़ान ऐसी नही की जमीन को भूल जाऊँ,
ऐसे उडू की जमीन पर भी अपनी पकड़ मजबूत बनाऊँ,
जीवन के हर टेढ़े मेढ़े रास्तों पर चलकर भी,
एक नई इबारत जीवन समर में मैं लिख पाऊँ।
मेरे सपनों की उड़ान हो जहाँ ईर्ष्या न हो,
एक दूजे के साथ में सच्ची प्रतिस्पर्धा सदा हो,
दूसरों को ऊँचा उठा देखकर खुश होती रहूं,
दूसरों की प्रगति में भी मन में कोई दुविधा न हो।
मेरे सपनों की उड़ान हो जहाँ प्रेम सदा खिले,
नफरत का हर कुहरा छँटे खुशियां ही मिले,
एक दूजे का हाथ थामकर उन्नति मार्ग पर बढ़े,
हर कोई अपनी क्षमता अनुरूप फूले फले।
बस जीवन की इतनी ही असली कमाई हो,
कृतध्नता की नौबत नही कभी आई हो,
हर उपकार के लिए सदा आभार मन में रहे,
दुख सुख सबमें ही समभाव जीवन ने पाई हो।
मुस्कान के साथ हर जुबान पर मेरा नाम रहे,
नफ़रतों के दौर में प्रेम का रूप सदा मेरा बने,
हिम्मत जब टूटे तो मजबूती का प्रतीक कहलाऊँ,
इस तरह मेरी उड़ान मेरी पहचान बनकर रहे।
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