फिल्में

जिंदगी और फ़िल्म

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 02 Nov, 2022 | 1 min read

फिल्मों सी आजकल होने लगी है जिंदगी,

या जिंदगी सी हो गयी हैं आजकल फिल्में

यह अनुत्तरित प्रश्न ढूंढ रहे हम सदा उत्तर,

 जिंदगी सी होकर भी फिल्में हैं सदा अलग।


फिल्मों में हमेशा होता है हैप्पी एंडिंग,

जीवन के धूप छाँव में तप कर निखरे सभी,

मगर जिंदगी की परीक्षाएं होती हैं अनंत,

परिणाम से बिखरे और टूटे सब प्रयत्न।


फिल्मों में प्यार की सदैव होती जीत हैं,

नफ़रतों को हराने के लिए होते सब मीत हैं,

जिंदगी में कहाँ इतनी सुंदरता हर वक्त मिलती,

चाहे अनचाहे निभाना सबको हर रीत है।


फिल्मों की आधुनिकता से सबका मन ललचाया है,

फिल्मों की रील सा जिंदगी को भी रील बनाया है,

जिम्म्मेदारियों से भागकर दिखावटी चक्कर में हैं

फिल्मों की अच्छाई कम बुराई सबने अपनाया है।


 फिल्में जिंदगी सी बिल्कुल नही होती,

पूर्व योजना पूर्व स्क्रिप्ट पर वह चलती रहती।

मगर जिंदगी के स्क्रिप्ट से सब बिल्कुल अनजान है,

निर्देशक से अपनी नही कोई पहचान है।

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