कभी फुरसत मिले

कभी फुरसत मिले

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 08 Jun, 2023 | 0 mins read

कभी फुरसत में मिले वो,

सुनाऊँ चंद दास्तान अपनी मुहब्बत के

अपने मन में पलते उम्मीदों के,

अपने अधूरे सपनों के।


पर ना उसे फुरसत मिली,

ना मेरे दिल को हिम्मत हुई,

बेकद्री न हो जाये मेरी मुहब्बत के

होंठ सिले थे और सिले ही रह गए।


जब भी मिले दुनिया जहां की बातें हुईं,

राजनीति पर चर्चा में खत्म रातें हुईं,

फिर भी जज्बात बयान न कर सके,

भावनाओं और संवेदनाओं की न मुलाकातें हुईं।


फिर भी दिल ये मचलता रहा,

ख़्वाब नया मन में पलता रहा,

धड़कनों के गीत सुनाई देने लगें,

टीस मन में चुभा और कसकता रहा।

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Ruchika Rai

ruchikarai

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