किताबों, किस्सों ,कहानियों में प्रेम का पढ़कर,
प्रेम के सम्मोहन में खींची चली जा रही थी।
लगा प्रेम में होना हमेशा खुशी देता।
मगर जितना प्रेम को जाना,
जितना प्रेम को समझा
और जितना प्रेम को माना।
प्रेम में त्याग, समर्पण और विरह की गहराई
को जाना।
प्रेम जहाँ भावनाओं के उमड़ते सैलाब पर
स्वयं नियंत्रण,
जज़्बातों को समझ कर उसका संग्रहण
और इन सबसे ऊपर अपेक्षा को छोड़
एहसासों को ह्र्दय में स्पंदन
दुनिया का कठिनतम कार्य लगा।
प्रेम ने बनाया संवेदनशील
उदार ,दयालु और मधुर
मगर
नियमों और वर्जनाओं के संरक्षण के लिये
स्वनुशासन के पालन के लिए
स्वयं के लिए बनाया सबसे कठोर।
शायद प्रेम ने बनाया सबसे अधिक संयमित।
प्रेम का यह रूप अनोखा
अनंत,असीमित मगर एकदम पवित्र।
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