बेपरवाह ये दिल ,उड़ती हुई जुल्फें
झूलती हुई लटें, छूती है गालों को,
सरसराती हवा मदहोश हुस्न है,
खुशबू इश्क की हवाओं के संग है
प्रेम के इत्र में डूबी हुई हवाएँ,
छू रही है जिस्म को और सिहरन सी
जैसे प्रियतम को कोई संदेश इन हवाओं
ने आकर हौले से कानों में कहा तो है।
कपोल गुलाबी हया से हो गए
धड़कनों की धक धक सँभलती नही है,
जिस्म की थरथराहट ये कहती है जैसे,
मिलन का मनोहारी संदेश पहुँच रही हैं।
प्रिय के आगोश में जाने को आतुर,
ह्रदय स्पंदित ,जुबान की लरजिश,
हवाओं के संग पिय से मिलन का संदेशा
प्रियतमा तक मानो पहुँच रही है।
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