मैं अपनी बेचैनियों को
एक संघर्षरत अस्तित्व देकर
कुछ कर दिखाने का जज़्बा
और इम्तिहान देना चाहती हूँ।
मैं चाहती हूँ कि जब भी कभी
किसी जुबान पर मेरा नाम आये
एक मुस्कान चेहरे पर पसर जाए
और जिजीविषा का नया आयाम वो गढ़ पाये।
मैं चाहती हूँ कि हर उन पलों में
जब उदासियाँ मुझ पर हावी हो।
मैं उस उदासियों को दिल से महसूस करुँ
ताकि खुशी के पल को शिद्दत से जी सकूँ।
जब भी किसी के नैन अश्रुपूरित हो,
मेरी छवि उसके नैनों के सामने आये।
और वह खुद को मजबूत करने का
एक बार फिर से प्रयास कर खुद को सफल बनायें।
मैं चाहती हूँ कि अपनी जड़ों से जुड़कर
आकाश का विस्तार नाप लूँ।
या फिर जमीन तक पसरने का
खुद से एक रास्ता बना लूँ।
मैं गमले का मनीप्लांट नही,
बल्कि खेतों में पसरने वाला पौधा बनना चाहती हूँ।
जो भले ही शोभा न बढ़ाये,
पर जीवन में जीवन के लिए मूल्य उसका सदा रह जाए।
मैं बस ज्यादा कुछ नही,
जमीन से जुड़े रहकर आकाश सा विस्तार चाहती हूँ।
थोड़ा ही सही पर दिल के कोने में है आस
शिद्दत से प्यार चाहती हूँ।
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