जाते जाते थोड़ा ठहरना,थोड़ा सुनना,
थोड़ा मेरे मन की गुनना।
शिकवा ,शिकायत करूँ तुमसे
या फिर शुक्रिया कहूँ तुम्हें,
जीवन का महत्वपूर्ण सबके तुमसे ही सुनना।
छोड़ो,क्या शिकायत करूँ,
हर शिकवा के संग शुक्रिया भी तुमको है देना।
रिश्तों में धोखा मिला,
पर रिश्ते परखने का गुर सिखाया।
जहाँ आँसू ने पलकों की बाँध को तोड़ा,
तुमने खिलखिलाने के मौके भी दिए।
जब भी गिरी कमजोर पड़ी,
तुमने हिम्मत मेरे अंदर भरी।
जब भी अकेले पड़ी,तुमने अकेले न रहने दिया।
कोई न कोई मसीहा बन
मेरी जिंदगी में शामिल हुआ।
बस जाते जाते इतना तुम करना,
2023 को मन्नतों और दुआओं के संग भेजना।
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