इनायत

प्रभु की इनायत

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 26 May, 2021 | 1 min read



इनायत प्रभु आपकी हो हम पर,

दुख दर्द सब ऐसे मिट जाए 

अँधेरा दिलों का खत्म हो जाये,

सारे जहाँ में रोशनी फैलाये।


न झुके सिर कभी भी शर्म से,

नेकियां हमारी सदा काम आए।

हाथ जब भी उठे मदद के लिए हो,

माँगने की नौबत कभी न आये।


हम ऐसे निखरे इस जहां में जैसे

काँटों के बीच फूल खिल जाये।

मेरा होना मुकम्मल करे मेरे अपनों को,

चोट मेरी वजह से कोई भी न पाए।


कुछ ऐसी इनायत हो प्रभु आपकी,

नेकियों की राह हमें मिल जाये।

खुशियाँ दोनो हाथों से इस जहां में

हम सभी को खुद बाँट आये।


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Ruchika Rai

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