सुनो

मुझे जीने दो

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 12 Sep, 2023 | 1 min read

सुनो,

छोड़ दो,

मत बाँधो मुझे

मर्यादा की सीमाओं में

जकड़ो मत मुझे कभी भी

रीति -रिवाजों और संस्कारों की बेड़ियों में

मुझे भान है क्या है मेरी सीमाएं

 सही गलत के साँचे में मत ढालो मुझे

अपनी उड़ान से स्वयं की पहचान मैं बनाना चाहूँ

लक्ष्य आसमान की ऊँचाई छूने को धरती पर पैर टिकाऊं।

अपने अधिकारों और कर्तव्यों में बिठा तालमेल

जिम्मेदारी पूरी तरह निभाऊं

जीवन के टेढ़े मेढे राहों पर चलने से नही कभी मैं घबड़ाऊँ

हौसलों की अभेद्य दीवार बना जीवन की हर बाधा से पार मैं पाऊँ।

बन प्रेरणा हर होठों पर मुस्कान सजाऊँ और जीवन की राह मैं सबको दिखलाऊँ।

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Ruchika Rai

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