मेरी माँ

मेरी माँ

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 05 May, 2021 | 1 min read



माँ तुम ममता की मूरत हो,

तुम दुआओं की सूरत हो।

वो तेरे गोद की गर्म छाँव

जहाँ मिलता मुझे पनाह,

तुम मेरे लिए इबादत हो।

जब भी हो दर्द हो ज्यादा,

तेरे छूने से मिलता सुकून 

मुझे ज्यादा।

तेरे प्यार की नर्मी,

तेरे वाणी की कभी गर्मी

निखारती मुझे दिन रात

तराशती मुझे हर बार

तुम हो जन्नत का रूप,

ईश्वर से भेजी गयी दूत।

मेरी हर गलती को जमाने 

से छुपाती,

कोने में ले जाकर सभ्यता

और संस्कार का पाठ पढ़ाती।

जमाने के अनुसार मुझे ढाल जाती,

फिर मेरे अंदर सद्गुणों को भर जाती।

तेरा होना ही मेरे लिए है खास,

तुझसा कोई दूसरा नही 

तू ही मेरा आस।


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Ruchika Rai

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