अपनी कल्पना की मैं खूब ऊँची उड़ान चाहती हूँ,
अपनी सोचों का आकाश सा विस्तार चाहती हूँ।
चाहती हूँ छू सकूँ उन्नति के शिखर को सदा ही मैं,
जमीन से टिके रहकर जमीन का आधार चाहती हूँ।
नभ की तरह विस्तृत होती जा रही है आकांक्षाएं,
मैं उन्हें पाकर जीवन से भरपूर प्यार चाहती हूँ।
तारों की तरह चमकना चाहती हूँ मैं नीले गगन में,
अपने अस्तित्व का मैं स्वयं से स्वीकार चाहती हूँ।
एक टुकड़ा बादल का बन जाऊँ नीले गगन का,
मैं आसमान के एक कोने पर अधिकार चाहती हूँ।
आकाश में अपनी एक अलग पहचान बना लूँ,
अपनी पहचान बनाकर खुशियाँ बेशुमार चाहती हूँ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
दिल छू लेने वाली रचना.....❤❤
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