वक़्त का थमना

जब लगा वक्त थम सा गया

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 29 Mar, 2022 | 1 min read

उलझी गाँठें जीवन राहों की,

भटकाते सारे दोराहे,

शून्य चेतना घनघोर अँधेरा,

पथ मिलती नही चौराहों की।

नही किनारा दिखा कही भी,

नही उबरने की राह सूझी।

बस ऐसा लगा मुश्किल पथ है,

और वक़्त लगा थम सा गया है।


वक़्त का पहिया रहे घूमता,

जीवन पथ पर अनवरत अनथक।

सुख के पल थे जो हुए काफूर,

जैसे लगते वक़्त है उड़ा चल।

दुख के वक़्त में तकती घड़ी पर,

मानो सुइयां रुक सी गयी हों

और वक़्त लगा थम सा गया है।


रिश्ते नाते हुए बेगाने,

उन्नति पथ पर प्रगतिशील बनें जब।

भाव प्रेम सब पीछे छूटा,

लगा ऐसे की अपने रूठे।

सुलझाते गाँठें लगें थकने 

बस यही ख़्याल रहा सदा मन में।

और लगा कि वक़्त थम सा गया है।

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