प्रेम गागर

प्रेम गागर

Originally published in hi
Reactions 1
422
Ruchika Rai
Ruchika Rai 17 Sep, 2021 | 0 mins read

प्रेम रूपी गागर से जीवन तर जाय,

नेह रूपी बाती से प्रकाशित हो जाय।


जीवन रूपी समर में हम लड़ते जाय,

प्रेम रूपी गागर से अमृत हम हैं पाय।


प्रेम बिन जीवन लगे कंटक सम,

प्रेम रुपी गागर से जल हम बरसाय।


स्नेह और ममता है जीवन का आधार,

प्रेम रूपी गागर से बरसाए हम प्यार।


दया सहनशीलता बिन कैसे रहे प्यार,

प्रेम रूपी गागर में जीवन दें वार।

1 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    आपकी रचनाएँ अध्ययन मात्र से सुकून देती है

Please Login or Create a free account to comment.