मोम

मोम बत्ती

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 13 Sep, 2022 | 0 mins read

तमस सारा दूर हो तिल तिल कर जल रही,

धीरे धीरे देखो खुद ही कैसे ये पिघल रही।


स्वयं को होम करती है रोशनी चहुँओर हो,

यह अँधेरा मिट जाए प्रकाश का जोर हो,

ये अंधियारा दूर होकर मानो कुछ कह रही,

मोम देखो कैसे धीरे धीरे स्वयं ही पिघल रही।


मोम की तरह जीवन जो किसी के काम आये,

स्वयं ही अस्तित्व को धीरे धीरे अपने मिटाये,

स्वार्थवश लोगों को नही उसकी फिक्र कोई,

धीरे धीरे जीवन देखो मृत्यु की ओर बढ़ रही।


खुद ही जलना खुद ही देखो कैसे पिघलना,

अस्तित्व का सदा ही खतरे में ही है पड़ना,

नेकियों का दामन थाम कर सुकून सदा रहे,

इसीलिए देखो यह कैसे बिन कहे जल रही।


जलता है धागा देखो और पिघलता है मोम,

बतलाये जीवन में जले अपनों के लिए कौन,

सच्चा साथी वही जो संग झेले दुख को भी,

यह मोम सदा ही देखो संदेश कह रही है।

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