वक्त

वक्त थम सा गया है

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 06 Apr, 2022 | 1 min read

उलझी गाँठें जीवन राहों की,

भटकाते सारे दोराहे,

शून्य चेतना घनघोर अँधेरा,

पथ मिलती नही चौराहों की।

नही किनारा दिखा कही भी,

नही उबरने की राह सूझी।

बस ऐसा लगा मुश्किल पथ है,

और वक़्त लगा थम सा गया है।


वक़्त का पहिया रहे घूमता,

जीवन पथ पर अनवरत अनथक।

सुख के पल थे जो हुए काफूर,

जैसे लगते वक़्त है उड़ चला।

दुख के वक़्त में तकती घड़ी पर,

मानो सुइयां रुक सी गयी हों

और वक़्त लगा थम सा गया है।


रिश्ते नाते हुए बेगाने,

उन्नति पथ पर प्रगतिशील बनें जब।

भाव प्रेम सब पीछे छूटा,

लगा ऐसे की अपने रूठे।

सुलझाते गाँठें लगें थकने 

बस यही ख़्याल रहा सदा मन में।

और लगा कि वक़्त थम सा गया है।


भरोसे की चटकती दीवारें,

अना और अहम ने रोड़े बिछवाये,

समर्पण की जो दी जा रही थी मिसालें,

वही लगा कमजोरी बन डगर नापने।

सब्र सहनशीलता हाथ छोड़ रही है,

चिंता दरवाजे थामे खड़ी है।

इंतजार की लम्हा हुआ लंबा,

क़ब तक मुश्किल का हल निकलेगा,

बस यही बार बार मन ये सोचता,

वक़्त मानो थम सा गया है।



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