जिंदगी का सफर

जिंदगी का सफर

Originally published in hi
Reactions 0
288
Ruchika Rai
Ruchika Rai 17 Dec, 2022 | 1 min read

जिंदगी के सफर में हम बढ़ते रहे,

थोड़ा गिरे और थोड़ा संभलते रहे,

राह कंकडीली अक्सर रही मेरी मगर,

धूप छाँव में मगर हम चमकते रहे।


जो मिला उसका सदा शुक्रिया किया,

दर्द तकलीफ़ में मुस्कुरा कर जिया,

जिन्दगी को मुहब्बत सिखाने के लिए,

हर गरल को मैंने सहर्ष हँसकर पिया।


जब लगा कभी हम सम्भल नही पाएंगे,

गीत प्रेम का भला कैसे हम गुनगुनायेंगे,

उसी वक़्त रब की मुझ पर रहमत हुई,

लगा की ताप सहकर हम निखर जाएंगे।


गुमनामियों के अँधेरे में जब हम खोने लगे,

दर्द की हद से गुजर कर जब हम रोने लगे,

एक उम्मीद का जुगनू दिल में जलने लगे,

फिर यूँही जिंदगी में मुकाम हम बनाने लगे।


धूप - छाँव संग जिंदगी का सफर चलता रहा,

फूल-शूल संग बिखरता और सम्भलता रहा,

इस तरह जिंदगी के सफर में हम बढ़ते रहे,

नाउम्मीदी के बीच उम्मीद का दीपक जलता रहा।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.