स्वतंत्रता

क्षणिकाएं

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 06 Sep, 2021 | 1 min read



स्वतंत्रता चाहिए सभी को

रहन-सहन ,खान-पान

और जीवन अपने ढंग से जीने की।

बोली भी स्वतंत्र हो,

चाहे वो किसी पर क्यों न तंज हो

समझ नही आता कबसे

है बन गयी स्वच्छंदता

ये #स्वतंत्रता।


स्वतंत्रता के नाम पर एकल 

परिवार चाहिए।

बड़े बुजुर्ग का नही कोई साथ चाहिए।

उनके अनुभवों से सीखने के 

नही कोई कोशिश है।

उनके अनुभवों को पिछड़ेपन का

एहसास कहिए।

बेरोक टोक जीने की आजादी

मर्यादाओं का तजना

है बन गयी #स्वतंत्रता।


नही हो कोई अनुशासन,

नही हो स्वानुशासन।

बराबरी के नाम पर दिख रहा

झूठा दम्भ और आचरण।

प्यार का एहसास हो

पर नही हो कोई समर्पण।

अपने तरीके से ,अपने ही शर्तो

को मनवाने के लिए जिद कटु व्यवहार।

बस यही बनी है #स्वतंत्रता।

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