यादों का पिटारा

पुरानी यादें

Originally published in hi
Reactions 0
294
Ruchika Rai
Ruchika Rai 28 Nov, 2022 | 1 min read

प्यार,विश्वास और अपनेपन को सँजोये,

मैंने जब खोली पुरानी यादों का पिटारा,

एक एक यादें आकर जेहन में बस गयीं,

जैसे घटित हुई थी सांझ और सवेरा।


यादें कुछ खट्टी कुछ मीठी सी थी,

कुछ कड़वी निबोली कुछ गुड़ की ढली थी,

कुछ यादें अधरों पर स्मित मुस्कान ले आई,

कुछ यादें दर्द में डूबी हुई लगती कुछ कमी सी थी।


पुरानी यादों में वह हॉस्टल के दिन थे सुहाने,

जहाँ दोस्तों के संग चलते थे कई बहाने,

वह सुख दुख सब एक दूसरे से साँझा करते,

खुशियों के बेहतर अब नही मिल सकते ठिकाने।


वह सुबह की पीटी के लिए पीटी सर की सीटी,

पल में खुल जाए नींद होश आ जाते थे ठिकाने।

वह सुबह की असेंबली और दिन भर की कक्षा,

इतिहास भूगोल मिलकर कर देते थे मेरी दुर्दशा।


यादों के पिटारे में थी कुछ शरारतें और मस्ती,

वो हुड़दंगों की टोली कर देते मिलकर सबकी छुट्टी,

वो अपनी पहचान बनाने की तीव्र प्रतिस्पर्धा,

हमारे हौसलों को नही दे सकता था कोई तोड़।


यादों के पैरहन में गुजरती हमारी जिंदगानी,

कभी बड़ी समझदारी कभी कर जाते हम नादानी,

न ही कोई डर न ही कोई मन में रहे फ़िकर,

बस अपनी ही धुन में करते सब मिलकर मनमानी।


चलो पुरानी यादों को हम फिर दुहराये,

पलों में सदियों को कुछ इस तरह जी जाएं,

देखने वाले के भी चेहरे पर मुस्कान खिल जाएं,

कड़वी खट्टी यादों को भी अपने नजरिये से मीठी बनाएं।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.