सपनों की उड़ान

सपनों की उड़ान

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Dec, 2022 | 0 mins read

कुछ खट्टे ,कुछ मीठे ,कुछ कड़वे अनुभवों की

हम हैं चलती दुकान,

पर हम नही हैं थकने और रुकने वाले भरने चले

हैं अपने सपनों की उड़ान।


रोड़े लाखों राह में आये उनसे मेरा जी घबड़ाये,

दर्द भरे हैं दिल के अंदर नही कोई उसे जान पाये,

अनथक अनवरत कर्मरत हम हैं देखो बढ़ाये,

स्वयं की नजरों में बनानी है अपनी विशेष पहचान।

हम चले हैं दृढ़ संकल्पित होकर भरने सपनों की उड़ान।


हम नित नूतन अनुभव से जीवन गणित सीख रहे हैं,

कुछ जोड़ कुछ घटाकर अपनी कहानी लिख रहे हैं,

पाप पुण्य के लिए गुणा भाग में उलझे दिख रहे हैं,

शून्य अंत हैं शून्य अनंत है शून्य का विशेष स्थान,

हम चले हैं कठिन श्रम साधना से भरने अपने सपनों की उड़ान।


हर चेहरे पर मुस्कान सजायें, हर दिल का हम दर्द मिटायें,

हर निराशा के गहन तिमिर में हम आशा के सुंदर दीप जलाएं,

प्रेम पुरित जीवन हो सबका इसके लिए हम नफरत दूर भगाएं,

नवल सृजन के लिए लेखनी में भर लें हम अपनी जान,

हम चले हैं मजबूत हौसलों संग भरने अपने सपनों की उड़ान।


नई आशाएँ मन में पनप रही ,नई आकांक्षाएं हर दिल में पल रही,

उन आकांक्षाओं में रंग भरने चले हैं हम लेकर सपनों की उड़ान।

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Ruchika Rai

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