अरे,तुमने सुना,उनकी बहू घर छोड़कर चल गयी, सुना है उनका बेटा एक नंबर का बिगड़ैल किस्म का नौजवान था।
और बहू तो उनलोगों को भाव ही नही देती थी।
चटखारे लगाकर यह बात करते हुए पड़ोस की संगीता जी ने उषा जी से कहा।
और सारिका जी मौन चुपचाप धीरे से कन्नी काटकर निकल गयीं।
वह क्या कहतीं ,क्या सफाई देतीं,कौन उनकी बातों पर यक़ीन करता।
सबको तो एक टॉपिक चाहिए होता ताकि उसको चटपटी बनाकर गॉसिप किया जा सके।
वह इन सबसे बहुत दुःखित थी,उनको बार-बार यही लगता कि यह सब मेरे ही साथ क्यों हुआ।
तभी अचानक से संगीता जी जो चटखारे लगाकर बातें करती थी उनकी बेटी बिन बताए अपने पसन्द के लड़के से शादी कर ली।
पासा कुछ यूँ पलट गया था अब वह सबसे कतरा रही थीं और सब उनको उनकी परवरिश को उल्टा सीधा कह रहे थे।
तब सारिका जी ने सबको डाँटा ये क्या बात हुई आपलोग सांत्वना देने के बजाय बातों का आनन्द ले रहे।
ईश्वर की लीला विचित्र है कब पासा पलट जाए कोई नही जानता।
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