आशीष रात भर अस्पताल में बैठा रहा,घर पर फ़ोन करके उसने मना कर दिया था कि आज वह कुछ व्यस्तता के कारण घर नही आ पायेगा।वैसे भी सप्ताह में दो ही दिन तो उसे परिवार के साथ बिताने को मिलता था।जिसमें एक दिन अस्पताल की भेंट चढ़ गया था।वह उस शख्स को नही जानता था जिसे बेहोशी की हालत में रास्ते पर से उठा लाया था।चाहता तो वह अस्पताल पहुँचाकर जा सकता था।परंतु कुछ वर्षों पहले की घटना याद आ गयी,जब ऐसे ही वह रास्ते में गिरा मिला था तो एक सज्जन उसे उठाकर लाये थे।न सिर्फ अस्पताल में ही बल्कि जब तक वह पूरी तरह ठीक नही हुआ तो अपने घर रखकर पूर्ण देखभाल की।खाना पानी सबका इंतजाम किया।
और तो और आशीष ने जब चलते वक़्त अस्पताल का बिल वगैरह देने की बात की तो उन्होंने कहा कि किसी अनजान की यूँही मदद कर देना।
मेरा ऋण उतर जाएगा।
और आशीष उस नमक का ऋण उतारने के लिए सच्चे मन से उस अनजान शख्स की मदद कर रहा था।
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