बसंत

बसंत का आगमन

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 06 Feb, 2022 | 0 mins read

बसंत का आगमन,

नित नूतन उमंग भर।

खिले है ह्रदय कमल

मिलन को मचलता मन।


बागों में नव कोंपले खिली,

पीली सरसों झरने लगी,

कोयल की मीठी तान से

संगीत मन में बजने लगी।

फूलों के सुगंध से सुरभित हुआ

घर आँगन और उपवन।

ठहर अभी थोड़ा और ठहर

तेरे साथ को है मचलता मन।


शीत की अकुलाहट छोड़,

चल रही मदमस्त बयार,

हर तरफ बिखरी बासंती छटा,

जैसे छाई हो उमंग बहार।

गेहूँ की स्वर्णिम बालियाँ झूम झूम

तेरे साथ को मचलने लगी।

ठहर अभी थोड़ा और ठहर

तेरे साथ को है मचलता मन।


बसंत का आगमन,

नित नूतन उमंग भर

खिले हैं ह्रदय कमल,

मिलन को मचलता मन।

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