चाँद देखो आसमान से निकला,
देखो आज पूरे शान से निकला।
इंतजार की घड़ियाँ तड़पा ही रही,
मेरा चाँद एक मकान से निकला।
उसके एक दीदार को तरसे हम,
वह तो अपने पूरे मान से निकला।
लेता रहता था रोज इम्तिहान मेरे,
आज खुद वह इम्तिहान से निकला।
लोग पत्थर समझते रहे वहम में,
वह तो हीरा था जो खान से निकला।
आज ईद की रात बड़ी पाक है,
मेरा चाँद आन बान से निकला।
उसने सबक खूब दिए जिंदगी के,
उसके एक नजर में ध्यान से निकला।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.