युग का आदमी

क्या हो गया इस युग का आदमी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 16 Mar, 2021 | 0 mins read




क्या होना था और क्या हो गया इस युग का आदमी,

स्वार्थपरता के दम्भ में खो गया है इस युग का आदमी।


निज स्वार्थ के लिए हर बुराई को गले लगा रहा,

छल द्वेष से ही खुद के विकास का मार्ग पा रहा,

भाई भाई से ही निज स्वार्थ के लिये लड़ रहा ,

ये कैसे संस्कार खुद में विकसित कर रहा है आदमी,

क्या होना था और क्या हो गया है इस युग का आदमी।


खुद की ही तारीफ के लिए ही मराजा रहा,अपनी श्रेष्ठता सबको स्वयं ही दिख रहा,

दूसरों की गलतियों का माखौल हरदम बना रहा,

अपनी ही जात में खुद को यूँ सिमटा रहा,

क्या से क्या हो गया है इस युग का आदमी।


झूठ और नफरत का बीज ही हर जगह बो रहा,

प्यार के नाम पर है सबको यूँ छल रहा,

घात प्रतिघात में ही अपने को डुबो रहा,

पीठ के पीछे से वार ये क्यो कर रहा,

क्या से क्या हो गया है ये आज का आदमी।


संस्कार और तहजीब का गला हरदम घोट रहा,

रीति रिवाज के नाम पर अंधविश्वास मन मे बो रहा,

नैतिकता का हर गुण खुद से मिटा रहा,

फिर अपने आप को है विकसित कह रहा,

क्या से क्या हो गया है इस युग का आदमी।



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Ruchika Rai

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