प्रेम

प्रेम

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 11 Nov, 2021 | 0 mins read

अपरिमित,अपरिभाषित, व्यापक विस्तृत जिसका आधार है,

जिसके बिना अस्तित्वहीन जीवन संसार है,

व्यथा वेदना पीड़ा में जो राहत है पहुँचाये,

वह प्रेम है जो अनजाने में भी दिल को सुकून दे जाए।


जीव जगत से मिलने का जो इस धरा पर आधार है,

इंसानियत को राह दिखलाये सदा वह प्यार है,

त्याग सब्र सहनशीलता को सदा ही सिखलाये,

जीवन में सुकून पहुँचाये वह सदा ही बेशुमार है।


दूरी में भी सामीप्य का है जो एहसास कराए,

दर्द में भी होठों पर है मुस्कान लेकर आये,

इस धरा से उस अम्बर तक है जिसकी पहुँच

कल्पना से भी ऊँची उड़ान लेकर वह जाए।


प्रेम ही इस जगत में निश्छल निर्मल पवित्र विचार है,

हर रूप में यह वंदनीय जीवन का सम्पूर्ण सार है।

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Ruchika Rai

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