जज्बात

मेरे जज्बात

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 01 Apr, 2021 | 0 mins read

ये मेरे जज्बात मुझसे ही दगा कर जाते हैं,

चाहती नही बयां हो फिर भी आँखों मे उतर आते हैं।

न कोई सिलसिला न कोई वादा न कोई गिला,

फिर भी अनदेखे चाहतों का चलता रहा काफिला,

मेरे रूह के आईने में छिपे हुए हाल ए दिल समझ जाते हैं।

ये मेरे जज्बात मेरी कमजोरियों की निशां बन जाते हैं,

जानती रही कि मुक्कदर में मेरे हिस्से में नही वो,

फिर भी बेख्याली में उसे पाने का ख़्याल,

सपनों में उसके साथ जीवन बिताने की हसरतें,

मेरी बेचैनी ,बेकली को बढ़ा मुझे कमजोर कर जाते हैं।

ये मेरे जज्बात न जाने कब कैसे मेरे आँखों में घर बनाते हैं,

खुद से बेहिसाब मोहब्बत का रास्ता भी दे जाते हैं।

माना कि ये मेरे जज्बात होठों पर नही आते,

पर मेरे रूह की पाकीजगी का एहसास मुझे कराते हैं,

खुदएतमादी का हुनर मुझे ये सीखा कर ,

मुझे जीने का ये नया ढंग दे जाते हैं।

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