महात्मा गाँधी

महात्मा गाँधी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 02 Oct, 2021 | 1 min read

था वह हाड़ मांस का पुतला एक

बदन पर थी एक लिपटी धोती

आँखों पर था एक गोलाकार चश्मा

और हाथों में थी एक लाठी।

थी जीर्ण शीर्ण काया उसकी

पर अद्भुत तेज और जीवट था।

अंग्रेजों के लिए वह बला था या

कोई आँधी तूफान या डरावना साया था।

माता पुतली बाई और पिता करमचंद की संतान,

कस्तूरबा की थी उसमें जान।

पोरबंदर गुजरात में जन्म लिया 

और पहचान बनाया विश्व पटल पर

जय जय प्यारा हिंदुस्तान।

गोरे काले का भेद मिटाने को

दक्षिण अफ्रीका में लड़ी लड़ाई।

किया वकालत वहाँ पर

फिर ऊँच नीच का भेद मिटाने की सुधि आई।

पश्चिम चंपारण में निलहे किसानों का

उन्होंने सदा ही साथ दिया।

था वह हाड़ मांस का पुतला 

उसने बड़ा ही कमाल किया।

सत्य अहिंसा के शस्त्र से अंग्रेजों को हराया,

न कभी बंदूक न कभी तलवार उठाया।

नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन का सूत्रधार बने वो।

जनमानस की सुधि लिये,

जेल भरो आंदोलन से ब्रिटिश शासन के दाँत खट्टे किये।

स्वच्छता शिक्षा,स्वरोजगार कुटीर उद्योगों का विकास किया,

महात्मा, बापू कई नाम उन्हें मिले।

आज जरूरत आन पड़ी है बापू के पद चिन्हों पर चलने की,

सत्य अहिंसा दया सहनशीलता क्षमा का इतिहास गढ़ने की।

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Ruchika Rai

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