पिता जीवन के धूप छाँव को
स्वयं में समेटे
हमारे जीवन के मजबूत आधारस्तंभ हैं।
वह अनंत संभावनाओं को हम में तलाशते,
ढाल बनकर संग में मजबूती से खड़े,
हमारी मजबूत नींव हैं।
खुद ही पीड़ा से जुझते मगर
हर पीड़ा से हमें सदा बचाते
हमारे दर्द में वो बनते मरहम हैं।
कठोर अनुशासन की आड़ में
हमारे बेहतर के लिए सदा ही प्रयासरत
हमारे सच्चे मार्गदर्शक हैं।
पीढ़ियों के अंतर को स्वयं ही स्वीकारते,
समन्यवादी बनकर अपने अधिकारों को
सदा ही धीरे धीरे हस्तांतरित करते,
गजब के प्रबंधक हैं।
हर हाल में बच्चों की पीड़ाओं को समझकर
फिर अपनी कठोरता और सख़्त मिजाजी
को बिना किसी दबाब के त्यागते
आकाश सा विस्तृत उनका उरस्थल है।
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