जिंदगी के साथ चलती रही जंग,
उधेड़बुन भी सदा रही साँसों संग,
सही गलत में उलझते ही रहे हम,
यही उधेड़बुन ने सदा किया तंग।
अपने पराये में सदा उलझते रहे,
क्या करें न करें यूँही तड़पते रहे,
जद्दोजहद चलती ही रही सदा से,
हार जीत के लिए मचलते ही रहे।
क्या करें कि सदा ही मेरा नाम हो,
क्या करें कि नही कभी गुमनाम हो,
बन प्रेरणा जीवन में कुछ नाम करें,
बस यही जीवन में असली मुकाम हो।
उधेड़बुन की कैसे सबको खुश रखें,
उधेड़बुन की कोई दर्द और दुख न रहे,
उधेड़बुन की मुस्कान की वजह बनें,
उधेड़बुन की दर्द हम सबके बाँट लें।
बन सके हमें सहारा किसी का,
कर सकें दर्द से किनारा सभी का,
थाम लें बाँजुओ को जो गिरने लगे,
बस यही उधेड़बुन मन में चलती रहे।
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