पथ में संग चले जो पथिक,
रुक जाए राहों में पल भर के लिए।
मौन समझ एक दूसरे की,
बाँटे अपना दर्द अव्यक्त ।
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें,
कल्पना जगत से अनकही मुलाकातें हो,
संग संग ह्रदय के तार जुड़े
एक दूजे का दर्द बिन कहे समझे।
शब्दों की न पड़े जरूरत् हो,
भावनाओं का सदा ही जाल बिछे,
उलझन सुलझाने के लिए सदा,
दोनों ही संग संग में चले।
पथ से इतर मंजिल पर नजर,
हो त्याग प्रेम से गुथे डगर।
न कोई वादा न कोई कशिश,
बस संग संग चले बन राही हमसफ़र।
दिल की बातें हो अनकही,
फिर भी न लगे एक दूजे से जुदा कभी।
बस यूँही प्रेम भरी बातों के
मंजिल की दुश्वारी कम हो जाये यही।
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